4. नगर -सुजाता
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4. नगर -सुजाता |
बोध और अभ्यास
1. लेखक ने कहानी का शीर्षक 'नगर' क्यों रखा ? शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर--प्रस्तुत कहानी में नगरीय व्यवस्था का चित्रण किया गया है एक रोगी जो इलाज के लिए गाँव से नगर आता है किन्तु अस्पताल प्रशासन उसका टालमटोल कर देता है। उसकी भर्ती नृहीं हो पाती है । नगरीय व्यवस्था से क्षुब्ध होकर ही इस कहानी का शीर्षक 'नगर' रखा गया है । वर्तमान परिस्थिति में नगरीय जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है । अस्पताल के डॉक्टर, कर्मचारी आदि खानापूर्ति कर अपने जिम्मेवारी से मुक्त हो जाते हैं। अनपढ़ गँवार वल्सि अमरण नाम की एक विधवा अपनी पुत्री के इलाज के लिए नगर के एक बड़े अस्पताल में आती है । अस्पताल के वरीय चिकित्सक उस रोगी को भर्ती करने का आदेश देते हैं किन्तु कर्मचारीगण अनदेखी कर देते हैं। वल्सि अम्मारण इधर-उधर चक्कर काटती है कि उसकी बेटी का इलाज सही तरीके से हो जाये । कर्मचारियों द्वारा सुबह 7 : 30 बजे आने की बात पर वल्सि अम्मारण अपनी बेटी कोलेकर अस्पताल से निकल जाती है । पफुर्सत मिलने पर वरीय चिकित्सक मेनिजाइटिस से पीडित रोगी को भर्ती होने की बात पूछते हैं । अस्पताल प्रशासन को इसकी कोई खबर नहीं होने पर वरीय चिकित्सक क्रोधित होकर उस रोगी में खोजने की बात कहते हैं । कर्मचारी एवं डॉक्टर उस रोगी की खोज में लग जाते हैं। वस्तुतः इस कहानी में अस्पताल प्रशासन की कमजोरियों एवं मानवीय, मूल्यों में निरन्तर आनेवाली गिरावटों का सजीवात्मक चित्रण किया है । नगर में रहनेवाले लोग केवल अपने सुख-सुविधा में लगे रहते हैं । अत:, इन दृष्टान्तों से स्मष्ट होता है कि प्रस्तुत कहानी का शीर्षक सा्थक और समीचीन है।
2. पाप्पाति कौन थी और वह शहर क्यों लायी गयी थी ?
उत्तर-पाप्पाति वल्सि अम्मारण की बेटी थी जो मेनिजाइटिस से पीड़ित थी । वह शहर में इलाज कराने के लिए लायी गयी थी ।3. बड़े डॉक्टर ने अपने अधीनस्थ डॉक्टरों ने पाप्पाति को अस्पताल में भर्ती कर लेने के लिए क्यों कहा ? विचार करें।
उत्तर- वरीय चिकिसक का पद एक गरिमामयी पद होता है । उन्हें अपने कर्त्तव्य का निर्वहण करना पड़ता है । यदि वे मरीजों से अनदेखी करने लगें तो अधीनस्थ डॉक्टर इसका अनदेखी करने लगेंगे । उनका अभ्यास धीमी होती चली जायेगी । बड़े डॉक्टर साहब इस बोमारी के बारे में बाहर के देश से पढ़कर आर्य थे । इस बीमारी को देखकर उस पढ़ाई का लाभ उठाना चाहते थे । वे आश्वस्त होना चाहते थे कि उनकी पढ़ाई सफल हुई है या नहीं । यही कारण है कि वे अधीनस्थ डॉक्टर से पाप्पाति को भर्ती करने के लिए कहा था ।4. बड़े डॉक्टर के आदेश के बावजूद पाप्पाति अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं हो पायी ?
उत्तर- अस्पताल के कर्मचारी खानापूर्ति करने में व्यस्त रहते हैं । उनके हृदय में मानवता. सहिष्णुता आदि का भाव नहीं रहता! गरीब तबके के लोगों पर उनका कोई ध्यान नहीं रहता है। हर कर्मचारी अपना काम दूसरों पर् सॉंप देते हैं। बेड खाली नहीं होने का बहाना बनाकर पाप्पाति को सबह लाने को कहा जाता हैँ ।। अस्पतल प्रशासन को लापरवाही के कारण ही पाप्पाति अस्पताल में भर्ती नहीं हो पाती है ।5. वल्सि अम्मारण का चरित्र-चित्रण करें ।
उत्तर-वल्सि अम्मारण नगर शीर्षक कहानी का केन्द्रीय चरित्र है । वह एक विधवा नारी है जो बीमारी बेटी का ईलाज कराने के लिए गाँव से नगर ले जाती है । वह पढ़ी-लिखी नहीं है। अस्पताल में उसकी बेटी, भर्ती नहीं हो पाती है । बीमारी बेटी से चिन्तित वल्सि अम्मारण अंधविश्वास में डूब जाती है। उसे लगता है कि बेटी को केवल बुखार है । उसकी आस्था डॉक्टरी में नहीं झाड़-फूँक में है । बेटी ने ठीक होने के लिए भगवान से मन्नतें माँगने लगती है । उसे विश्वास है कि अझा से झाड़-फूँक करवाने पर उसकी बेटी ठीक हो जायेगी । अशिक्षा अंधविश्वास को बढ़ावा देती है। यहाँ वल्सि अम्मारण के व्यवहार से यह बात सिद्ध हो जाती है ।6. कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी सुजाता द्वारो रचित् है । इसमें कहानीकार नगरीय व्यवस्था को यथार्थ के धरातल पर लाने का अथक प्रयास किया है । इस कहानी की नायिका वल्सि अम्मारण अपनी बेटी पाप्पाति को इलाज कराने के लिए गाँव से नगर आता है । यह नगर छोटा नहीं बल्कि अपने-आप में अस्तित्व रखता है । मदुरै कभी पांडिय लोगों को 'राजधानी' थी । अंग्रेजों द्वारा मदुरा यूनानी लोगों द्वारा मेदोरा और तमिल लोगों के द्वारा मदुरै कहा जाता है । नगर के चकाचौध से प्रभावित अस्पताल के कर्मचारी ठीक ढंग से काम नहीं करते हैं । वेकेवल खानापूर्ति में लगे रहते हैं। वरीयता चिकित्सक के आदेश के बावजूद भी पाप्पाति अस्पताल में भर्ती नहीं हो पाती है । हताश और विवश वल्सि अम्मारण, अंधविश्वास के शरण में चली जाती है । नगर से उसका विश्वास उठ जाता है । ओझा से झाड़-फूँक कराकर अपनी बेटी को स्वस्थ चाहती है । वस्तुत: इस कहानी के द्वारा नगरीय व्यवस्था के साथ-साथ मानवीय मूल्यों के शासन को भी उद्घाटित किया गया है।
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