7. हिरोशिमा -सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन 'अज्ञेय'
सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन 'अज्ञेय' कवि परिचय-
हिन्दी साहित्य में प्रयोगवाद के प्रवर्तक, प्रतिभा के धनी तथा बहुभाषाविद् 'अज्ञेय" जी का जन्म 7 मार्च, 1911 ई. में कसेया, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।
इनके पिता का नाम डॉ. हीरानन्द शास्त्री तथा माता व्यती देवी थी। प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के घर पर हुई, ये मूलत: पंजाब के कर्तारपुर के निवासी थे। इसलिए मैट्रिक की परीक्षा 1925 ई० में पंजाब से इंटर परीक्षा 1927 मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से बी. एससी- 1929 फोरमेन कॉलेज लाहौर और एम. ए. (अग्रेजी) लाहौर से किया।
"अज्ञेय" जी हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, फारसी, तमिल आदि बहुभाषाविद् थे। आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, कथाकार, उपन्यासकार, यात्रा साहित्य के निर्माता, विचारक एवं पत्रकार के रूप में स्थान प्राप्त कर चुके हैं।
"अज्ञेय" जी की प्रमुख कृतियाँ हैं-काव्य (पद्य)
में 'भग्नदूत", "चिंता", " इत्यलम", " हरी घास पर क्षण भर","बाबरा अहेरी" "आँगन के पार द्वार" "सदा नीरा", "कितनी नावों" में कितनी बार आदि ।
हिरोशिमा कहानी संग्रह-
"विपथगा", "जयदोल", 'ये तेरे प्रतिरूप' 'छोड़ा हुआ रास्ता', "लौटती पगडियाँ" आदि उपन्यास "शेखर : एक जीवनी" नदी के द्वीप अपने-अपने अजनबी ।
यात्रा-साहित्य-"अरे यायावर रहेगा याद"
"एक बूंद सहसा उछली"
निबंध- "त्रिशंकु", "आत्मनेपद' अद्यतन, "भवंती", 'अंतरा", "शाश्वती" आदि ।
नाटक "उत्तर प्रियदर्शी"। संपादित ग्रंथ-"तार सप्तक", "दूसरा सप्तक", "तीसरा सप्तक", "चौथा सप्तक", "पुष्कारिणी", "रूपांबरा" आदि ।
'अज्ञेय" जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा सुग्रा (युगोस्लाविया) का अंतरराष्ट्रीय स्वर्णमाल आदि पुरस्कार मिला । 4 अप्रैल, 1987 ई. में उनका देहांत हो गया ।
प्रश्न सूचि (toc)
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7. हिरोशिमा -सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन 'अज्ञेय |
हिरोशिमा कविता परिचय-
प्रस्तुत कविता में आधुनिक सभ्यता की दुर्दात मानवीय विभीषिका को चित्रण किया गया है जिसमें आणिवक आयुधों का दुष्परिणाम को स्पष्ट किया गया है । यह पाठ "अज्ञेय" जी की काव्य कृति "सदानीरा" से संकलित किया गया है।
हिरोशिमा कविता का भावार्थ-
हिरोशिमा जापान का शहर है । जापान को उगते हुए सूरज का देश कहा जाता है । एक दिन प्रलयंकारी सूर्य के समान हिरोशिमा शहर के चौक पर परमाणु बम का विस्फोट हुआ जो दिशाहीन मानव के मस्तिष्क की उपज थी। काल के प्रलयंकारी तांडव से जापान की रूक गईं। मानो उगते हुए सूर्य के रथ के पहिये का अरे (कील) टूट गया हो और रथ के हरेक पाट-पुर्जे दिशाओं में बिखर गये हों। वही स्थिति जापान की हुई ।
क्षणभर में उदय सूर्य का देश कहलाने वाला अस्त हो गया। एक क्षण में सब कुछ जल गया। मानो प्रलयंकारी सूर्य अपने दोपहरी रूप में सबकुछ सोख लिया है। कितने मनुष्य भाप बनकर उड़ गये, कितने की लाश धरती पर बिछ गई, पत्थरों पर सड़कों पर सब जगह लाश ही लाश । जिस मानव ने उगते हुए सूर्य का देश जापान को बनाया, वही मानव, मानव को भाप बनाकर सोख लिया। जापान का यह विध्वंसकारी घटना दिशाहीन मानव के कुकृत्य का साक्षी (गवाह) है।
हिरोशिमा बोध और अभ्यास प्रश्न के उत्तर
हिरोशिमा कविता के साथ
1. कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज क्या है ? वह कैसे निकलता है ?
उत्तर- कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज आण्विक हथियार है। जब वह निकलता है तो प्रलयंकारी दृश्य उपस्थित कर देता है। मनुष्य, जीव-जन्तु, पत्थर आदि सब कुछ भाप बनकर उड़ जात हैं।
2. छायाएँ दिशाहीन क्यों पड़ती हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर- दोपहर में जब सूर्य पूर्व में होता है तो छायाएँ पश्चिम और अर्थात् विपरीत दिशा (दिशाहीन) की ओर पड़ती है।
3. प्रज्वलित क्षण की दोपहरी से कवि का आशय क्या है?
उत्तर- जब किसी क्षेत्र पर परमाणु बम गिराया जाता है तो सब कुछ जलने लगता है। मानो प्रलयंकारी सूर्य दोपहर के समय प्रज्वलित जैसा होकर सबको सोख रहा है । अर्थात् सब जल जाते हैं।
4. मनुष्य की छायाएँ कहाँ और क्यों पड़ी हुई है ?
उत्तर- मनुष्य की छायाएँ हिरोशिमा क्षेत्र में पड़ी हैं । अर्थात् मानव की छाया (प्रतीक) चिह्न अभी भी देखा जा सक है कि किस प्रकार की बर्बादी (त्रासदी) वहाँ मचाया गया । मानव तो भाप बनकर उड़ गये लेकिन उनकी छाया (प्रतीक) अभी भी मौजूद है। एक साक्षी के रूप में।
5. हिरोशिमा में मनुष्य की साखी रूप में क्या है?
उत्तर- हिरोशिमा में परमाणु बम गिराया गया सब कुछ भाप बनकर उड़ गया । मनुष्य उड़ गये। चारो ओर बर्बादी ही बर्बादी हुई । हिरोशिमा मैं उस नरसंहार की छाया अभी भी हिरोशिमा में देखी जा सकती है। अर्थात् वहाँ का दृश्य स्पष्ट बयान करता है मानव त्रासदी का । हिरोशिमा का वह दृश्य मनुष्य की साखी रूप में है।
6.हिरोशिमा व्याख्या करें-
(क) व्याख्या करें-"एक दिन सहसा । सूरज निकला।'
उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्य पुस्तक गोधूली भाग-2 के काव्य (पद्य) खण्ड के प्रयोग से हुए त्रासदी की याद "अज्ञेय" जी ने दिलाई है। हिरोशिमा नगर के बीचो-बीच एक दिन एकाएक (अचानक) बम गिरा जिसमें मनुष्य भाप बनकर उड़ गये।
मानो प्रलयंकारी सूर्य अकस्मात् निकलकर सबको सोख लिया हो । सब बर्बाद हो गये।
(ख) व्याख्या करें-"काल-सूर्य के रथ के पहियों के ज्यों अरे टूट कर बिखर गये हों । दसों दिशा में।"
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्य पुस्तक "गोधूली" भाग-2 के काव्य (पद्य) खण्ड के "हिरोशिमा" शीर्षक पाठ से ली गई हैं। जिसमें हिरोशिमा पर हुए परमाणु-अस्त्र के प्रयोग से विध्वंस का दृश्य प्रस्तुत करते हुए "अज्ञेय'" जी कहते हैं- "काल-सूर्य दसों दिशा में अर्थात् 'मानो काल-रूपी सूर्य उदय हो रहा हो उस समय उसके रथ के पहिये की अरे. (कील) टूट गया हो और सब कुछ दसों दिशा में बिखर गये हों । अर्थात्वि कासशील जापान जो कभी उगते हुए सूर्य का देश कहा जाता था सब तितर-बितर हो गये।
(ग) व्याख्या करें- “मानव का रचा हुआ सूरज । मानव को भाप बनाकर सोख गया।"
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक "गोधूली" भाग-2.के काव्य (पद्य) खण्ड के "हिरोशिमा" शीर्षक पाठ से ली गई है जिसके कवि "अज्ञेय" जी है । कवि ने हिरोशिमा पर हुए परमाणु अस्त्र के प्रयोग से त्रासदी का वर्णन किया है। जापान जिसे उगता हुआ सूरज का देश कहा जाता था। उस जापान को विकसित करने क श्रेय मनुष्य को है। लेकिन मनुष्य ही ने उसे बर्बाद कर दिया। मानो मानव का रचा सूरज मानव को भाप बनाकर सोख गया।" अर्थात् प्रलयंकारी काल का सूर्य की तरह मानव रचित आण्विक हथियार से हिरोशिमा को बर्बाद कर दिया । लोग भाप बनकर उड़ गये।
हिरोशिमा भाषा की बात प्रश्न के उत्तर
1. कविता में प्रयुक्त निम्नांकित शब्दों का कारक स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- शब्द कारक
क्षितिज अधिकरण कारक
अंतरिक्ष आपादान कारक
चौक सम्बन्ध कारक
मिट्टी आपादान कारक
बीचो-बीच अधिकरण कारक
नगर सम्बन्ध कारक
रथ सम्बन्ध कारक
गद्य अधिकरण कारक
छाया सम्बन्ध कारक
2. कविता में प्रयुक्त क्रियो रूपों का चयन करते हुए उनकी काल-रचना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- क्रिया काल
सूरज निकला बम बरसाने के समय
धूप बरसी बम बरसाने के समय
सब ओर पड़ी बम बरसाने के समय
नहीं उगा था बम बरसाने के समय
बिखर गये हों बम बरसाने के समय
सोख लेने वाली बम बरसाने के समय
नहीं मिट्टी बम बरसाने के समय
भाप हो गये बम बरसाने के समय
अभी लिखी हैं वर्तमान कालीन
सोख गया बम बरसाने के समय
जली हुई वर्तमान कालीन
3. कविता से तद्भव शब्द चुनिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर- शब्द वाक्य प्रयोग
सूरज सूरज पूर्व में उगता है
पूरब पूरब में सूर्य उगता है।
पत्थरों पत्थरों पर लिखा गया ।
साखी इस केस में साखी (साक्षी) मत बनो ।
4. कविता से संज्ञा पद चुनें और उनका प्रकार भी बताएँ ।
उत्तर- संज्ञा पद प्रकार
सूरज = व्यक्तिवाचक संज्ञा
नगर = व्यक्तिवाचक संज्ञा
चौक = समूहवाचक संज्ञा
मानव-जन = जातिवाचक संज्ञा
पूरब = व्यक्तिवाचक संज्ञा
दसो दिशा = समूहवाचक संज्ञा
छाया = जातिवाचक संज्ञा
साखी = जातिवाचक संज्ञा
5. निम्नांकित के वचन परिवर्तित कीजिए।
उत्तर- शब्द परिवर्तित वचन में
छायाएँ = छाया
पड़ी = पडी
उगा = उगे.
है = है
पहियों = पहिया
अरे = अर
पत्थरों = पत्थर
साखी = साखियाँ
हिरोशिमा शब्द निधि :
अरे = पहिये की धूरी और नेमि या परिधि को जोड़ने वाले दंड । गच = सिमेंट या पत्थर से बना पक्का धरातल । साखी (साक्षी) = गवाही, सबूत ।