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2. Bish Ke Dant

लेखक परिचय-

 हिन्दी कविता में प्रपंचवाद के प्रवर्तक, नई शैली के आलोचक एवं श्रेष्ठ कहानींकार के रूप में ख्यातिप्राप्त नलिन विलोचन शर्मा जी का जन्म 18 फरवरी, 1916 ई. में पटना सिटी के बदरघाट में हुआ था.। इनके पिता महामहोपाध्याय फ़ं रामावतार शर्मा थे और माता का नाम रत्नावती शर्मा था । उन्होंने पटना कॉलेजिएट स्कूल तथा पटना विश्वविद्यालय से संस्कृत और हिन्दी में एम० ए० किया।
वे हर प्रसाद दास जैन कॉलेज, आरा, पुनः राँची विश्वविद्यालय और अंत में पटना विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष बने और मत्युपर्यंत (12 सितम्बर, 1961 ई० तक) इस पद पर बने रहे।

नलिन जी की प्रमुख रचनाएँ हैं-

दृष्टिकोणि", "साहित्य का इतिहास दर्शन", "मानदंड", "हिन्दी उपन्यास विशेषत:। प्रमेचंद"साहित्य तत्व और आलोचना", "कहानी संग्रह", नकेन के प्रपद्य", "नकेन-दो", सदल मिश्र ग्रंथावली", "अयोध्या प्रसाद खत्री स्मारक ग्रंथ""संत परंपरा और साहित्य" इत्यादि ।। कवि एवं सफल कहानीकार नलिन विलोचन शर्मा जी की भाषा, शैली एवं कथ्य में नवीनता देखो जाती है। अतः इनको आधुनिक दृष्टिकोण के आलोचक के रूप में माना जाता है। प्रस्तुत "विष के दाँत" शीर्षक कहानी के माध्यम से कहानीकार नलिन जी ने मध्यमवर्गीय समाज के बीच अंतर्विरोधों को दर्शाया है । कहानी सामाजिक और मनोवैज्ञानिक है। कहांनी दो मध्यमवर्गीय परिवार के बीच घूमता है । एक सेन परिवार जहाँ आर्थिक सम्पन्नता तो है लेकिन बेटा-बेटी में अन्तर (लिङ्गभेद) तथा महत्वाकांक्षा के समक्ष दूसरे को गलत कहने वाले है तो दूसरा परिवार आर्थिक तंगी से लडता हुआ साहसी मध्यवर्गीय गिरधर अपने अस्तित्व को कायम रखता है।
Table of Content (toc)
2. विष के दाँत - नलिन विलोचन शर्मा


2. विष के दाँत 

- नलिन विलोचन शर्मा

सक्षिप्त कहानी-

सेन साहब के बँगले पर नई माँडल की कार आई है। सैन साध्य को चमचमाती अपनी कार पर नाज है। किसकी मजाल कि-गाड़ी के पास कोई चला जाय । सेन साहब को पाँच लड़कियाँ सुशील एवं सभ्य दिखती थीं। कहीं भी कभी में उन सबों की हिस्सेदारी नहीं रहती थी परन्तु सेन साहब का बेटा अत्यन्त नटखट और सेन साहब के
दुलार से बिगड़ा हुआ था। सेन साहब अपने बेटा को इंजीनियर बनाना चाहते थे जो उनके महत्वाकांक्षा का दिवास्वप्न जैसा ही था। क्योंकि बेटा यदि कुछ तोड़ भी देता था उनको लगता था मानो मेरा बेटा कुछ अनुसंधान कर रहा है। काशू नाम का वह उद्दण्ड बच्चा कभी गाड़ी की बत्ती फोड़ देता तो कभी चवके की हवा निकाल देता लेकिन सेन साहब के लिए आनन्द की बात होती ।
        दूसरी तरफ गिरधर उनकी फैक्टरी का किरानी है जो अपने परिवार के साथ फैक्ट्री के अहाते में एक कोने में रह रहा था। गिरधर का पाँच वर्षीय बेटा मदन ने जब कार को देखा तो उसकी लालसा हुई होगी छुने की जो बाल-सुलभ है। छुने जा ही रहा था कि ड्राईवर ने मना किया, उसे डाँटकर भगाना चाहा, उसी बीच मदन- की माँ भी आ जाती है। ड्राईवर और मदन की माँ -के बीच बहस सुनकर सेन साहब भी बाहर आ गये । ड्राईवर ने कहा-यह लड़का बार-बार गाड़ी की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहा था ! मैंने हटा दिया तो यह औरत आकर मुझसे लड़ रही है। दूसरों के बच्चे के द्वारा गाड़ी छुने का प्रयास करना. भी सेन साहब को अपराध समझ में आता है। दण्डस्वरूप गिरधर को बुलाकर उसको फैक्टरी में काम छोड़ने और आवास खाली करने की आज्ञा मिलती है।
        उसी दिन एक घटना घट गई -काशू अपने बंगले से निकल सड़क पर लट्टू नचती लडकों से लटटू नचाने के लिए माँगता है। लड़को का सरदार मदन है। काशू और मदन के बीच द्वन्द्र छिड़ता है। काशू मार खा जाता है जिससे उसके दो दात टूट जाते हैं। मुदन रात आठ-नौ बजे. पीछे के दरवाजे से घर में घुसा । पहल रसोई में जाकर भरपेंट खाना खाया फिर माता-पिता के परस्पर होते बात को सुनने लगा जिससे पता चला कि पिताजी को फैक्टरी से छुट्टी मिल गई। मकान भी कल ही खाली करना था। मदन के बारे में कोई बात नहीं हो रही था। मदन समझ
गया कि पिताजी हमारे ऊपर गुस्सा में नहीं है। वह दब पाँव सने चला कि पैर से बर्त्तन टकरा गया । आहट पाकर गिरधर कमरे से बाहर आकर मदन को देख उठाकर मदन को शबासी देते हुए कहते हैं, "शाबाश बेटा ! एक तेरा बाप है और तूने तो वे खोखा के दो-दो दाँत तोड डाले ।  हा-हा, हा-हा !

बोध और अभ्यास

पाठ के साथ

1.कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- कहानीकार नलिन जी रचित "विष के दाँत शीर्षक कहानी का शीर्षक्र सार्थक है। साँप के दाँतों में दो विष के दाँत होते हैं। यदि वह दाँत टूट जाता है तो वह सॉप विषहीन हो जाका है। सेन साहब का खोखा साँप की तरह ही विषैला था। वह अपने सामने किसी को कछ नी समझता था। किसी पर भी रोब जमा देता। किसी की भी पिटाई कर देता था। साँप की भादे फफकारने वाला सेन साहब का वह पुत्र काशू मदन से मार ऐसा खाया कि-पुनः वह गली में आकर किसी पर फुफकार भी नहीं सकता । मानो उसके विष के दाँत ही मदन ने तोड डाले हों

2. सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में किए जा रहे लिंग आघारित भेद-भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए ।

उत्तर- सेन साहब के परिवार में पाँच बेटी और एक बेटा है । सेन साहब पत्नी सहित बेटा को अधिक प्यार करते हैं । अगर कोई गलती भी बेटा कर देता तो उनको आनन्द आता था। क्यों नहीं आनन्द आता बेटा को भविष्य में इंजीनियर बनाने का दिवास्वप्न जो देख रहे थे । परन्त बेटीं तो उनके हाथ की मानों कठपुतली हो। हरेक समय माता-पिता की आज्ञा के पालन में तत्पर रहा करती थी। सभ्य और सुशील बेटी के प्रति सेन दम्पति का उतना प्यार नहीं दिखता जैसा कि बेटा के प्रति । सभ्य और सुशील की प्रतिमूर्ति वह बेटियाँ भी कुछ बन सकती हैं वह दिल में उम्मीद भी नहीं रखते थे। खान-पान में भी काशू जो चाहता तुरन्त हाजिर हो जाता । परन्तु बेटियां के लिए नहीं। इससे स्पष्ट है कि सेन परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में लिंग के आधार पर भेदभाव किये जाते थे।

3.खोखा किन मामलों में अपवाद था ?

उत्तर-खोखा जीवन के नियम और घर के नियमों के मामले में अपवाद था ।

4. सेन दंपति खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी ?

उत्तर- सेन दंपति अपने खोंखा के दुर्ललित व्यवहार से एवं उसके तोड़-फोड़ की हरकतों
से इंजीनियर बनने की सम्भावनाएँ देखते थे । उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी शिक्षा के
लिए बढ़ई मिस्त्री को बुलवाकर ठोक-ठाक सिखाने के लिए तय किया था।

5. सप्रसंग व्याख्या कीजिए

(क) लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक '" गोधूली" भाग-2 के गद्य खंड के "विष के दाँत" शीर्षक कहानी से उद्धृत है जिसके कहानीकार "नलिन विलोचन शर्मा'" हैं । कहानी प्रसंग में कहानीकार ने सेन दंपति की पाँचों लड़कियाँ अत्यन्त सुशील, सभ्य और अनुशासित हैं । इस बात की सम्पुष्टि में उक्त पंक्ति लिखते हुए कहा है कि "लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है ।"
   अर्थात् पाँचों लड़कियाँ माता-पिता के कथनानुसार और इशारे पर चलने वाली हैं। पाँचां बच्ची पर सेन दंपति को गर्व है।
(ख) खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धांतों को भी बदल लिया था ।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक 'गोधूली' भाग-2 के गद्य खण्ड के "विष के दत शीर्षक कहानी से उद्धत है जिसके कहानीकार "श्री नलिन विलोचन शर्मा ह । कहानी प्रसंग में कहानीकार ने सेन दंपति के लाड-प्यार से बिगड़ा हुआ एकमात्र पुत्र के पर्मे  कहां है जिसे सेन दंपति उसे इंजीनियर बनाना चाहते थे, जिसका कारण था कि खोखा तोड़-फोड़ में अधिक आनन्द पाता था इसलिए " खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धांतों की भी बदल लिया था।"
     अथ्थात् खोखा के बिगड़े चाल के कारण ही सेन दंपत्ति को ऐसा लगता था कि मेरा बेटा
इंजीनियर बनेगा।
(ग) ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुंडे, चोर और डाकू बनते हैं।
उत्तर-प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक-"गोधूली" भाग-2 के गद्य खंड के "विष के दाँत" शीर्षक कहानी से उद्धृत किया गया है जिसके कहानीकार "श्री नलिन विलोचन शर्भा हैं।" कहानी प्रसंग में जब मदन सेन साहब की गाड़ी छुना चाह रहा था तब ड्राइवर और मदन की माँ में कुछ बकझक सुनकर सेन साहब घर से निकलकर मदन की माँ को तो मदन को ले जाने के लिए कह ही दिया। इससे उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ तो मदन के पिता गिरधर लाल को बुलवाकर कहा-देखो गिरधर मदन आजकल बहुत शोख हो गया। गाड़ी भी गंदा किया, साथ-सांथ ड्राईवर को भी मारने दौड़ा ।"ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुण्डे, चोर और डाकू बनते हैं।"
       अर्थात् तुम्हारा बेटा दुलार में दूषित हो गया है। आगे चलकर चोर, डकेत, गुण्डा वन जायगा । यहाँ पर सेन साहब को अपना गिरवान.नहीं दिखता केवल दूसरों को झाँकते हैं। यहाँ पर यह भी कहा जा सकता है कि अपने चेहरा पर लगा कालिख किसी को नजर नहीं आता । लेकिन दूसरे के चेहरे पर लगा कालिख जल्दी नजर आ जाता है।
(घ) हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक "गोधूली" भाग-2 के गद्य खंड के "विष के दाँत'" शीर्षक पाठ से ली गयी है। यह कहानी "श्री नलिन विलोचन शर्मा" जी की रचना है। कहानी के संदर्भ में मदन गली के बच्चों के साथ लट्टु नचा रहा है । सेन साहब का खोखा भी वहाँ आ गया। लट्टु को नाचते देख उसका भी तबीयत लट्टु नचाने के लिए मचल गई । यहाँ पर कहानीकार ने काशू को हंस और मदन सहित साथियों को कौओं का झुंड की उपमा देकर व्यंग्यात्मक दृष्टि से कहा हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।
6.सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया ?
उत्तर- सेन साहब के ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ मित्रगण के साथ-साथ एक पत्रकार मित्र भी उपस्थित थे । सभी परस्पर बातचीत कर रहे थे कि किसका बेटा क्या कर रहा है, आगे क्या पढेगा । सेन साहब तो बिना पूछे ही. अपने खोखा को इंजीनियर बनाने की बात कह डाली। जब पत्रकार मित्र से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया"मैं चाहता हूँ मेरा बेटा जेंटिल मैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी।"

7. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?
उत्तर- मदन और ड्राइवर के बीच का विवाद के माध्यम से कहानीकार यह बताना चाहता है कि-जनसाधारण भी वैसा ही बन जाता जैसा कि उसकी संगति होता है। ड्राइवर सेन साहब का नमक खाता है इसलिए सेन साहब के बेटे की बदमाशी की ओर नजर-अंदाज कर देता है। लेकिन एक दूसरा बच्चा को यदि गाड़ी छुने की ललक हो तो उसको धकेल दिया जाता है, उलटे उस पर गलत आरोप लगा देता है।
8. काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था ? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है ?
उत्तर- काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण मात्र बाल हट्ठ था । यदि मदन को काशू की गाड़ी को स्पर्श करने का भी अधिकार नहीं तो काशू को मदन का लट्टु भी नचाने का अधिकार नहीं। लेकिन काशू रौव दिखाकर लटूटु नचाना चाहता है जो मदन के विचार से गलत था। फिर मदन की प्रतिशोध की भावना ने झगडे का रूप ले लिया । इस प्रसंग के द्वारा कहानीकार यह दर्शाना चाहते हैं कि-बच्चों में भी प्रतिशोध की भावना जगता है। बच्चा में यह ज्ञान नहीं होता कि कोई बच्चा बड़े बाप का बेटा है, मैं गरीब बाप का बेटा हूँ। जो बच्चों का
स्वाभाविक ज्ञान है ।
9. "महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं।" लेखक के इस कथन को कहानी से एक उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए ।
उत्तर- महल और झोपड़ी वांलों में लड़ाई अर्थात् काशू और मदन की लड़ाई में मदन के अन्य मित्रों ने काशू की मदद नहीं की । परिणाम काशू (महल वाला) हारता है। यदि मदन के मित्र बालक काशू को मदद करता तो काशू ही जीतता । प्रायः यही देखा जाता है कि झोपड़ी में रहने वाले लोग अपने ही खिलाफ आवाज लगाते हैं। परिणाम झोपड़ी वाला पराजित हो जाता है।
10. रोज-रोज अपने बेटे मदन की फिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दण्डित करने की बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है ?
उत्तर- रोज-रोज बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर दाँडित नहीं किया बल्कि उसको अपने छाती से लगा लिया । क्योंकि सेन साहब ने गिरधर को बेवजह नौकरी से निकाला, घर खाली करने का आदेश दिया जो गिरधर की साथ अन्याय था गलती काशू ने किया, दण्ड काशू को मिला। सेन साहब ने गिरधर के साथ जो अन्याय किया, उसका दंड सेन साहब को मिलना चाहिए था। गिरधर सेन साहब को दडित कर सकता था लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। लेकिन उसका बेटा मदन काशू को दंडित कर उचित कार्य किया।
इसलिए वह अपने बेटे मदन को छाती से लगाकर उचित कार्य के लिए सराहना करता है और
खुशी जाहिर करता है।
11. सेन साहब, मदन, काशू और गिरधर का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर- सेन साहब-सेन साहब एक विजनेसमेन हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से सम्पन्न हैं। महत्वाकांक्षी हैं। सम्भावना को संयोगने वाले हैं। इसलिए अपने दुर्दमनीय पुत्र में इंजीनियर होने की सम्भावना करते हैं। उनकी पुत्रियाँ सभ्य, सुशील और कायदे से काम करने वाली हैं परन्तु उसकी शिक्षा-दीक्षा की चर्चा, कभी नहीं करते । इससे स्पष्ट होता है कि सेन साहंब पुत्र-पुत्री में भेद मानते हैं जो उचित नहीं है.। सेन साहब को धन का अहंकार है इसीलिए तो निर्दोष गिरघर को नौकरी से निकाल देते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सेन साहब अहम् भाव के कारण अपनी सूझ-बूझ भी खो बैठते हैं।
मदन- मदन एक गरीब बाप का बेटा है लेकिन सामान्य बालक की भाँति उसमें भी मनस्विता है। इसीलिए तो वह सेन साहव के ड्राइवर की ओर बार-बार मारने के लिए झपटता है। सामान्य बालक की तरह ही उसमें भी ईष्यो, द्वेष और बदले की भावना जगती है। इसलिए तो उसने सेन साहब के खोखा को भी पीट देता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि मदन स्वाभिमानी भी है।
काशू- काशू सेन साहब का एकलाता बटा है। सेने साहब के दुलार में वह बिगडता जाता है। पिता की तरह ही उसमें भी अहम् का भाव पनप जाता है। इसलिए तो वह मदन से लट्टु नचाने के लिए रौव से माँगता है । वह नटखट भी है जिसके कारण उसे तोड़-फोड में अधिक मन लगता है। से स्वाभिमान भी है इसलिए तो वह मदन के साथ लट्टु नहीं देने पर उलझ जाता है । गिरधर गिरघर एक मध्यवर्गीय आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति है। वह ईमानदार, वफादार कर्चारी है। मालिक के गलत निर्णय का मा आसानी से स्वीकार लेता है कि गिरधर वर्त्तमान- को भ्री आघार मानता है क्योंकि सामान्य पिता की तरह पुत्र मदन को दण्ड भी देता है । लेकिन नौकरी के बाद उसी पुत्र को गले भी लगाता है। वह एक सफल गृहस्थ धर्म का पालन करता है योंकि विषम परिस्थिति में भी वह अरवराता हुआ नहीं दिखता। दाम्पत्य जीवन में भी गिरधर समरसता ही कायम रखता है।
12. आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है ? तर्कपूर्ण उत्तर द ।
उत्तर-हमारी दूष्टि से कहानी का नायक काश है। क्योंकि सेन दम्पति काशू के प्रात सम्भावनाएँ को संयोजे हैं। काश् के दुर्लिलत भाव के कारण ही सेन साहब का ड़ा की सकी ता है, सेन मित्नों के गाड़ी की हवा निकाली जाती है । काश के कारण ही निर्दाष गिरधर की कराी समाप्त हुई। काशू के दुर्दमनीय स्वभाव के कारण ही सेन साहब को मित्रों के बोच मन मसास कर रह जाता है जधा काशू के लाड-प्यार के सामने सेन साहब की पुत्रियाँ कुछ नहीं है । काशू के ही दाँत भी टूटते हैं जिसे "विष के दाँत" की संज्ञा दी गई है।
13. आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्पूर्ण है ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित करें ।
उत्तर- आरंभ से कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण हैं। इसके प्रमाण में कहानीकार का उक्ति गाड़ी के पक्ष में "जैसे कोयल घोंसले से कब उड जाएँ ।" सेन साहब की पुत्रियों के प्राति व्यग्यपूर्ण उक्ति में कहानीकार ने कहा है-"वे ऐसी मुस्कराहट अपने होठों पर ला सकती है कि सोसाइटी की तरारिकाएँ भी उनसे कुछ सीखना चाहें तो सीख लें।"
     कहानी में वहाँ भी कहानीकार ने व्यंग्य किया है जहाँ काशू मदन की जमात में लट्टु नचति जा पहुँचता है उस समय कहानीकार की उक्ति-" हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।" इत्यादि ।
14. "विष के दाँत" शीर्षक कहानी का सारांश लिखें ।
उत्तर- कहानी का सारांश के लिए सोंक्षिप्त कहानी ही लिख दें।

पाठ के आस-पास

1.एक साहित्यकार के रूप में नलिन विलोचन शर्मा के बारे में अपने शिक्षक से जानकारी लें।
उत्तर-नलिन विलोचन शर्मा एक महान साहित्यकार हैं । वे हिन्दी साहित्य में आलोचक और प्रवर्त्तक के रूप में स्थान प्राप्त किया है। साहित्य क्षेत्र में "दृष्टिकोण", साहित्य का इतिहास दर्शन" "मान दण्ड"। आलोचनात्मक ग्रन्थों में-साहित्य तत्व और आलोचना । कहानी में- "विष के दाँत" आदि सत्रह कहानियाँ का "कहानी संग्रह" "हिन्दी उपन्यास-विशेषतः प्रेमचन्द" "सदल मिश्र ग्रंथावली", "अयोध्या प्रसाद खत्री स्मारक ग्रंथ " "संत परंपरा और साहित्य" । "नकेन के प्रपद्य" और "नकेन-दो" इत्यादि अनेक ग्रन्थों से हिन्दी साहित्य के भंडार को भरने का काम किया।

भाषा की बात

1.कहानी से मुहावरे चुनकर उनके स्वतंत्र वाक्य प्रयोग करें ।
उत्तर- "विष के दाँत" कहानी में प्रयुक्त मुहावरे कुछ निम्नलिखित हैं-
(क) आँखों का तारा-वह अपने पिता का आँखों का तारा है।
(ख) खाल उर्धडूना-श्याम ने मदन का खाल उधेड़ लिया।
(ग) कौए की तरह चिल्लाना-वर्ग में बच्चे भी कभी-कभी कौए की तरह चिल्लाने लगते हैं।
(घ), हंस का कौवों की जमात में शामिल होना काशू मदन के साथ लट्टु नचाना चाहता है मानो हंस कौओं की जमात में शामिल होना चाहता है।
(ङ) आव-ताव न देखना-वह आव न ताव देखा नदी में कूद गया।
(च) तितर-बितर होना-पुलिस आते ही लोग तितर-बितर गये।
(छ) मारा-मारा फिरना-नौकरी के लिए युवक लोग मारे-मारे फिरते हैं ।
(ज) हक्का-बक्का होना-रमेश को देखकर सोहन हक्का-बक्का हो गया।
2.कहानी से विदेशज शब्द चुने और उनका स्रोत. निर्देश करें ।
उत्तर- कहानी में प्रयुक्त विदेशज शब्द और उनके स्रोत निम्नलिखित हैं-
 शब्द स्रोत
 नाज उर्दू
 तहजीव उर्दू
 तहजीव उर्दू
 शामत उर्दू
 ताकीद उर्दू
 सोसाइटी अंग्रेजी
 ट्रेड अंग्रेजी
 फरमाना उर्दू
 फिजुल उर्दू
 वाकिफ     उर्दू
3. कहानी से पाँच मिश्र वाक्य चुनें।
उत्तर-(क) सेन साहब की नई मोटरकार बँगले के सामने बरसाती में खड़ी है- काली चमकती हुई, स्ट्रीमल इंड जैसे कोयल घासले में कि कब उड़ जाए।
(ख) सेन साहब को इस कार पर नाज है। बिल्कुल नई मॉडल, साढ़े सात हजार में आई है।
(ग) 'लड़कियाँ तो पाँचों बड़ी सुशील हैं, पाँच-पाँच ठहरीं और सो भी लड़कियाँ, तहजीब और तमीज की तो जीती-जागती मूरत ही हैं।
(घ) वे दौड़ती हैं और खेलती भी हैं, लेकिन सिर्फ शाम के वक्त और चूँकि उन्हें सिखाया गया है कि ये बातें उनकी सेहत के लिए जरूरी हैं।
(ङ) वे ऐसी मुस्कुराहट अपने होठों पर ला सकती हैं कि सोसाइटी की तारिकाएँ भी उनसे कुछ सीखना चाहें, तो सीख लें पर उन्हें खिल-खिलाकर किलकारी मारते हुए किसी ने सुना नहीं।
4 वाक्य भेद स्पष्ट कीजिए ।
(क) इसके पहले कि पत्रकार महोदय कुछ जवाब देते, सेन साहब ने शुरू किया में
तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूँ।
उत्तर-मिश्र वाक्य ।
(ख) पत्रकार महोदय चुप मुस्कुराते रहे ।
उत्तर- सरल वाक्य ।
(ग) ठीक इसी वक्त मोटर पीछे खट-खट की आवाज सुनकर सेन साहब लपके,
शोफर भी दौड़ा।
उत्तर- संयुक्त वाक्य
(घ) ड्राइवर, जरा दूसरे चक्कों के पीछे भी देख लो और पंप से आकर हवा भर दो।
उत्तर- संयुक्त वाक्य ।

शब्द-निधि :

बरसाती-पोटिको। नाज-गर्व, गुमान। तहजीव सभ्यता । शोफर- ड्राइवर । शामत- दुर्भाग्य । संख्त-कड़ा, कठोर । ताकीद- कोई बात जोर देकर कहना, चेतावनी । खोखा-खोखी- बच्चा-बच्ची (बॉग्ला)। फटकना- निकट आना । तमीज- विवेक, बुद्धि, शिष्टता । तालीम - शिक्षा । सोसाइटी-शिष्ट समाज, भद्रलोग। रश्क--ईष्ष्या । ताल्लुक- संबंध । हकीकत- सच्चाई, वास्तविकता । आविर्भाव-उत्पत्ति, प्रकट होना। दुर्ललित- लाड़-प्यार में बिगड़ा हुआ। ट्ूंड-प्रशिक्षित । दूरदेशी-दूरदर्शिता, समझदारी । फरमाना आग्रहपूर्वक कहना । फिजूल फालतू,व्यर्थ । वाकिफ परिचित वाकया- घटना। हैसियत- स्तर, प्रतिष्ठा, सामर्थ्य, औकात । अखबारनवीस-पत्रकार । प्रच्छन्न-छिपा हुआ, गुप्त, अप्रकट । अदब-शिष्टता, सभ्यता । हिकमत- कौशल, योग्यता । रुखसत-विदाई । बेलौस-नि:स्वार्थ । बेयरा- खाना खिलाने वाला सेवक। चीत्कार -क्रंदन, आत्त होकर चीखना । शयनागार- शयनकक्ष, सोने का कमरा। खलल-विघ्न, बाधा, व्यवधान । कातरआर्त्त । खैरियत- कुशलक्षेम । बेठब- बेतरीका, अनगढ़ । उज्र-आपत्ति । मजाल-ताकत, हिम्मत, साहस । अक्ल-बुद्धि ।

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