लेखक परिचय-
विश्वविख्यात विद्वान फ्रेड्रिक मैक्समूलर पार्चात्य विद्वान चिन्तको में अग्रणी है। इनका जन्म जर्मनी के डेसाउ शहर में 6 दिसम्बर, 1823 ई० में हुआ था। बचपन में ही पिता का निधन के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई । फिर भी इनकी शिक्षा-दीक्षा में कमी नहीं आई । बचपन से ही ये संगीत में तथा ग्रीक और लैटिन भाषा में निपुणता पा लिया था। बचपन से ही ये कविताएँ भी करने लगे थे । 18 वर्ष की उम्र से ये लिपजिंग विश्वविद्यालय में संस्कृत शिक्षा आरम्भ की । 1894 ई० में 'हितोपदेश' तथा कठ और केन आदिउपनिषदों का जर्मन भाषा में तथा मेघदूत का जर्मन पद्य में अनुवाद किया । उन्होंने वैदिक तत्वज्ञान को मानव सभ्यता का मूल स्रोत माना । स्वामी विवेकानन्द ने उनको "वेदांतियों का वेदांतो" कहकर सम्बोधित किया। भारतीय पूर्वजों के चिन्तनों को मैक्समूलर ने यथार्थ रूप में दुनियाँ के सामने रखा। उनके पांडित्य से प्रभावित होकर महारानी विक्टोरिया ने 1868 ई० में ऋग्वेद तथा संस्कृत के साथ यूरोपियन भाषाओं की तुलना आदि विषयों पर व्याख्यान देने हेतु अपने महल "ऑस्बोर्न प्रासाद" में आरमंत्रित की थी तथा उनके भाषण से प्रभावित होकर "नाइट" की उपाधि प्रदान की थी जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था। 28 अक्टूबर 1900
ई में उस भारत भक्त, संस्कृत अनुरागी एवं वेदों के प्रति आस्था सखने वाले महापुरुष का निधन हो गया ।
प्रस्तुत लेखक-
मैक्समूलर के इस आलेख को भाषण के रूप में मैक्समूलर ने भारतीय सिविल सेवा हेतु चयनित युवा अंग्रेज अधिकारियों के आगमन के अवसर पर संबोधित किया था जिसका हिन्दी भाषा में भाषांतरण डॉ० भवानी शंकर त्रिवेदी ने किया था- "इस आलेख से भारतीय प्राचीन सभ्यता-संस्कृति, ज्ञान-साधना, प्राकृतिक वैभव आदि कोमहत्ता का प्रमाणिक ज्ञान प्राप्त होता है ।"
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3. भारत से हम क्या सीखें -मैक्समूलर |
3. भारत से हम क्या सीखें -मैक्समूलर
आलेख संक्षेप में इस प्रकार है भारत सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण पृथ्वी पर स्वर्ग जैसा देश है। मानव मस्तिष्क की उत्कृष्टतम उपलब्धियों का साक्षात्कार सर्वप्रथम भारत ने किया। भारतीयों ने जीवन की बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान सबैसे पहले कर रखा था जो प्लेटो और काण्ट जैसे महान दार्शनिकों के लिए भी मनन करने योग्य है। भारतीय साहित्य ही एक ऐसा साहित्य है जिसके अध्ययन से इस जीवन के साथ-साथ अगला जन्म तथा शाश्वत जीवन सुधर जाता है। भारत के गाँवों में सच्चे भारत का दर्शन होता है। आज का भारत भी यूरोपियन लोगों के लिए महत्व रखता है। हमारे पास भारत को पहचानने की दूष्टि होनी चाहिए । जीवन के जटिल से जटिल समस्याओं का निदान करने वाला भारत है। भू-विज्ञान, वनस्पति ,विज्ञान, जीव-जन्तु विज्ञान, मानव विज्ञान सबका हल यहाँ सम्भव है जो अन्यत्र नहीं। पुरातत्व प्रेमियों से मैक्समूलर ने कहा था--यदि यूरोपियन लोग जनरल कनिंघम की भारतीय सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ेंगे तो आपक्ा दिल मचल उंठेगा बौद्ध सम्राटों द्वारा निर्मित नालन्दा विश्वविद्यालय के अथवा बिहारों के ध्वंसावशेषों को खोद निकालने का ।
भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ विश्व के सभी देशों का सिक्का प्राप्त हुआ है। ईश्वरीय ज्ञान पक्ष में भी भारतीय वेद ही अग्रणी है। नीति कथाओं के क्षेत्र में, दन्त कथाओं का स्रोत स्थली भारत ही है। मैक्समूलर ने यूनानी कहावतों का आधार भारत को माना जैसे- शेर की खाल में गधा।" क्योंकि गधा भारतीय जन्तु है । यूनानी कथाओं में नेवला और चूहा की कहानी बहुत आया हे। अत: यूनानी कथाओं का आधार भी भारत है क्योंकि भारत में ही नेवला पाया जाता है।
मैक्समूलर ने बताया कि प्राचीन भारत के साथ विश्व के हरेक देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध रहा है क्योंकि हाथी-दाँत, बन्दर, मोर और चन्दन का निर्यात केवल भारत से ही सम्भव था, जिसका आयात विश्व के हरेक देश करता था । मैक्समूलर ने ही बताया कि- भारत एक ऐसा भाषा-भाषी देश है जहाँ आर्य द्रविड़, मुण्डा आदि जातियों के बोल-चाल की भाषा में यूनानी, यूचा, हून, अरब, ईरानी के साथ-साथ मुगल आक्रमणकारी विजेताओं की भाषाओं का सीम्मोश्रित भाषा बोली जाती है।
विश्व के विधिशास्त्रियों के लिए भारतीय धर्मसूत्र को कानून जानने का सर्वश्रेष्ठ विधि ग्रंथ बताया । विश्व राजनैतिक ज्ञानियों को भी मैक्समूलर ने बताया कि-भारत का "ग्राम पंचायत" शासन प्रणाली बनाने वालों के लिए सर्वंत्तम आधार है । धर्म क्षेत्र में भारत को अग्रणी कहते हुए मैक्समूलर ने कहा, सम्पूर्ण दुनियाँ को बौद्ध धर्म प्रदान करने वाला, पारसियों के जरथुष्ट धर्म की शरण-स्थली, ब्राह्मण धर्म तथा वैदिक धर्म की भूमि भारत है। उन्होंने यह भी कहा लोकप्रिय शिक्षा, उच्च शिक्षा; चाहे संसद में प्रतिनिधित्व की बात हो या कानूनी बात सीखने-सीखाने की बात हो तो भारत विश्व का सर्वोत्तम पाठशाला होगा । उन्होंने भारतीय मानव मस्तिष्क के सामने अन्य देश के मानव मस्तिष्क को कमजोर बताया। भारतीय इतिहास की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा--भारतीय इतिहास का एक अध्याय के बराबरी विश्व के सम्पूर्ण इतिहास की पुस्तके नहीं कर सकती हैं। मैक्समूलर ने प्राचीन भारतीय भाषा संस्कृत को ऐतिहासिक दूष्टिकोण सर्वातिशायी (जिसमें
सब कुछ समाहित हो) बताया है। उन्होंने यह बताया कि ग्रीक भाषा और लैटिन भाषा में समानता के कारण की खोज में जब संस्कृत को आधार बनाया गया तो समस्या का हल शीघ्र हो गया। इसके लिए उन्होंने कुछ उदाहरण भी दिये हैं जैसे-
संस्कृत का शब्द-' अग्मि : ' को लैटिन भाषा में 'इग्निस' तथा लिथ्वानियन भाषा में 'उग्निस ' कहा जाता है जो प्राय: समानता को प्राप्त है ।
नोट- (अग्निः का विसर्ग का "स्" उच्चारण भी संस्कृत भाषा में होता है इस हालत में अग्निस्, इंग्निस, उग्निस शब्द मिलते हैं।)
उसी प्रकार मैक्समूलर ने संस्कृत का दूसरे शब्द का उदाहरण पेश करते हुए कहा---
संस्कृत का मूषः (चूहा) शब्द को ग्रीक भाषा में मूस, लैटिन भाषा में मुस, पुरानी स्लावोनिक भाषा में माइस और पुरानी उच्च जर्मन भाषा में मुस कहा जाता है। संस्कृत का"अस्मि" (मैं हूँ) को ग्रीक भाषा में एस्मि बोले जाने वाले कहकर हिन्दू की प्राचीन भाषा संस्कृत, ग्रीक, यूनानी आदि भाषाओं में समरूपता बताया तथा संस्कृत भाषा के अध्ययन को सभी भाषाओं के अध्ययन से श्रेष्ठ बताया। संस्कृत भाषा को मैक्समूलर ने तीन हजार वर्ष से भी पूराना बताया जो विश्व के अन्य भाषाओं से पुरानी है। संस्कृत साहित्य के भंडार के समक्ष विश्व के साहित्य भंडारों की छोटा बताया । जितना ज्ञान संस्कृत भाषा में है उतना ज्ञान अन्य भाषा से. प्राप्त नहीं हो सकते ।
मैक्समूलर ने अपने विद्यार्थी जीवन की बात याद कर कहते हैं कि-डॉ० क्ली नामक मास्टर ने हमें क्लास में बताया था कि भारत की एक भाषा है जो ग्रीक, लैटिन, जर्मन और रूसी भाषाओं से मिलती-जुलती भाषा है। पहले तो हमलोगों ने सोचा योहि श्याम पट्ट पर संस्कृत, ग्रीक और लैटिन के संख्यावाची शब्द, सर्वनाम शब्द और धातु रूप को समान-समान लिख दिया तो मैं सत्य को जान पाया
मैक्समूलर ने स्पष्ट शब्दों में कहा- संस्कृत तथा आयों की अन्य भाषाओं के अध्ययत से दुनियाँ के लोगों में पारिवारिक जैसा सम्बन्ध बन जैसा गया है। आज संस्कृत के अध्ययन के सहारे हम जान सकते हैं कि-हम मानवों की जीवन-यात्रा कहाँ से आरम्भ होती है । हमें कौत सा मार्ग अपनाना चाहिए और कहाँ पहुँचना चाहिए। भारतीय गरिमा को दर्शाते हुए उन्होंने 18वीं सदी में भारत में आये हुए अंग्रेज यात्री के शब्द में कहा-
"जिस भारत यात्रा की ललक मेरे मन में उठ रही थी पिछले 1783 के लिए मैं समुद्र यात्रा कर रहा था कि एक दिन संध्या के समय दिनभर में देखे गए दुश्यों की जाँच-पडताल करते हुए मैंने पाया कि भारत अब ठीक हमारे सामने था। फारस या ईरान हमारे बाई ओर था। अबर सागर से आती हुई ठण्डी हवाएँ हमारे जहाज के पिछले भाग से टकरा रही थीं। एशिया के सुविस्तीर्ण क्षेत्रों से चारों ओर से घिरी ऐसी श्रेष्ठ रंगभूमि के मध्य अपने-आपको पाकर मुझे जिस आनन्द का अनुभव हुआ वह वस्तुत: अनिर्वचनीय है। एशिया की यह भूमि नाना विध ज्ञान विज्ञान की धात्री, आनन्ददायक ललित तथा उपयोगी कलाओं की जननी एक से एक बढकर शानंदार कार्यकलापी को दुश्य भूमि, मानव प्रतिभा के उत्पादन के लिए अत्यन्त उवेर क्षेत्र तथा धर्म, राज्य सरकारों, कानून या विधि-संहिता, रीति-रिवाज, परम्पराओं भाषा, लोगों के रंग-रूप और आकार- प्रकार आदि दूृष्टि से अपनी अत्यधिक विविधता के कारण सदा सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखी जाती रही है। मैं यह कहे बिना नहीं रह सका कि कितना अधिक विशाल और महत्वपूर्ण क्षेत्र अभी तक अनदेखा ही रह गया है और कितने बड़े व ठोस अभी तक प्राप्त नहीं किये जा सके हैं।"
मैक्समूलर के विचार से भारत को "सर विलियम जोन्स" जैसे अभी न जाने कितने
स्वप्नदर्शियों की आवश्यकता है और जो स्थिति सौ साल पहले थी वह स्थिति भारत में अभी भी
है। यदि आप लोग चाहें तो भारत के बारे में वैसे ही सुनहरे सपने देख सकते हैं और भारत पहुँचने
के बाद एक से बढ़कर एक शानदार काम भी कर सकते हैं। सर विलियम जोन्स ने कलकत्ता
पहुँचने के बाद से अब तक प्राच्य देशों के इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक
शानदार बड़ी-बड़ी अनेक विजये प्राप्त की हैं, तथापि किसी भी नये सिकन्दर को यह सोचकर
निराश नहीं हो जाना चाहिए कि गंगा और सिन्धु के पुराने मैदांनों में अब उसके लिए विजय पाने
के लिए कुछ भी नहीं बचा है।
अर्थात् भारत खोजियों की खोज के लिए भरा-पूरा देश है।
बोध और अभ्यास
पाठ के साथ
1. समस्त भूमंडल में सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश मारत है । लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर- मैक्समूलर जब भारत की भूमि पर आया तो उसको यंहाँ की धरती को स्वर्ग जैसा अनुभव हुआ। यहाँ के इतिहास रहन-सहन, रीति-रिवाज, भाषा, साहित्य तथा पुरातत्वों को देखकर उसने जो आनन्द प्राप्त किया उस आनन्द को भाषा के रूप में व्यक्त करते हुए महान दार्शनिक विद्वान मैक्समूलर ने कहा-"समस्त भूमंडल में सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है।"2. लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों ?
उत्तर- लेखक मैक्समूलर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन गाँव में हो सकते हैं। क्योंकि भारत के गाँवों में ही प्राकृतिक और प्राचीन भारतीय रीति-रिवाज, भाषा, रहन-सहन के तीर तरीके तथा भारत के अवशेष गाँव में अध्ययन और खोज के लिए पड़े हैं । न कि कृत्रिम शहर में ।3. भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता किनके लिए वांछनीय है और क्यों?
उत्तर- भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता यूरोपियन लोगों के लिए वांछनीय है क्योंकि प्राचीन भारत ही नहीं, आज का भारत भी विविध समस्याओं के निदान में सहायक है।4. लेखक ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरुचि रखने वालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है ?
उत्तर- लेखक मैक्समूलर ने भू-विज्ञान, वनस्पति - विज्ञान, जीव-जन्तु विज्ञान, पुरातत्व विज्ञान, दैवत-विज्ञान, भाषा-विज्ञान, इतिहास, साहित्य, कानून शास्त्र अथवा राजनीतिक ज्ञान आदि विशेष क्षेत्रों में अभिरुचि रखने वालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है।5. लेखक ने वारेन हेस्टिंग्स से संबंधित किस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला दिया है और वयों ?
उत्तर- लेखक मैक्समूलर ने अपने आलेख में वारेन हेस्टिंगंस से संबंधित उस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला दिया है जिससे वाराणसी के पास से उसे 172 दारिस नामक सोने का सिवका प्राप्त हुआ जिसे सिक्के को वारेन हेस्टिंग्स ने ईस्ट -इण्डिया कम्पनी के पास इसलिए मिजवाया था कि दुर्लभ प्राचीन यह सिक्का सर्वोत्तम वस्तु में गिनी जायगा । लेकिन उन सिक्कों को ईस्ट इण्डिया कम्पनी फे निदेशक सामान्य सोने का सिक्का मानकर गलवा दिया । जब तक वारत हेस्टिंग्स इंगलैण्ड वापस आये, सिक्का गल चुका था । मैक्समूलर ने इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला इसलिए दिया कि पुनः किसी से ऐसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो ।6. लेखक ने नीति कथाओं के क्षेत्र में किस तरह भारतीय अवदान को रेखांकित किया है ?
उत्तर- लेखक ने नीति कथाओं के क्षेत्र में भारतीय अवदान को रेखाकित करते हुए कहा है नीति कथाओं, के अध्ययन क्षेत्र में भी भारत के कारण नव जीवन का संचार हो चुका है. क्योंकि भारत के कारण ही समय-समय पर नानाविध साधनों और मार्गों के द्वारा अनेक नीति कथाएँ पूर्व से पश्चिम की ओर आती रही हैं।भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध के प्राचीन प्रमाण लेखक ने क्या दिखाए हैं? उत्तर-भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध के प्राचीन प्रमाण, लेखक ने बाईबिल को दिखाते हुए कहा है कि संस्कृत शब्दों के आधार पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि हाथी दाँत. बन्दर मोर और चंदन आदि जिन वस्तुओं का व्यापार यूरोप में होता था वह केवल भारत से ही निर्यात सम्भव है। जिसके नियत की बात बाइवल में भी लिखी है।"शाहनामा" के रचनाकाल (दसवीं- ग्यारहवीं सदी) में भी यूरोप भारत का व्यापारिक सम्बन्ध था जो "शाहनामा" अध्ययन से जानकारी प्राप्त होती है।
8.भारत की ग्राम पंचायतों को किस अर्थ में और किनके लिए लेखक ने महत्वपूर्णबतलाया है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-पारत की ग्राम पंचायतों को अत्यन्त सरल राजनैतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से सम्बद्ध प्राचीन युग के कानून और वैशिष्ट्य की परख सकने के अर्थ में राजनीतिज्ञों के लिए महत्वपूर्ण बतलाया है ।9. घर्माँ की दृष्टि से भारत का क्या महत्व है ?
उत्तर-धर्मों की दृष्टि से भारत का महत्व बताते हुए लेखक ने कहा है कि घर्म का बास्तविक उद्भव, उसके प्राकृतिक विकास अथवा क्षीयमान रूप का प्रत्यक्ष परिचय भारत में पुरातन रूपों के बारे में जो अनुसंधान हुए हैं, उनके महत्व मिलता है यह भारत ब्राह्मण धर्म, वैदिक धर्म वाला तथा बौद्ध धर्म की जननी और पारसी धर्मकी शरण-स्थली है ।
10. भारत किस तरह अतीत और सुदूर भविष्य को जोड़ता है। स्पष्ट करें।
उत्तर- भारत को जानने की इच्छा रखने वाले लोग जब भारत में अनुसंधान करते हैं तो उनकी जैसी भी समस्या हो चाहे शिक्षा-क्षेत्र में, कानून बनाने पक्ष में, अथवा शासन पद्धति के पृक्ष में उस समस्या का हल खोजने के लिए भारतीय अतीत का भी यहाँ अध्ययन तथा समस्या भी हल हो जाता है जो भविष्य के लिए भी उपयुक्त है अत: भारत अतीत और सुदूर भविष्य को जोड़ता है।11. मैक्समूलर ने संस्कृत की कौन-कौन-सी विशेषताएँ और महत्व बतलाये हैं ?
उत्तर- मैक्समूलर ने संस्कृत की विशेषताओं में पहली विशेषता इस भाषा की प्राचीनता जिसका काल विश्व की अन्य भाषा से पूर्व का काल है। दूसरी विशेषता आज के संस्कृत में भी प्राचीनता का तत्व भलीभाँति सुरक्षित है।तीसरी विशेषता यह भाषा अन्य भाषा के बारे में जानने का मजबूत आधार है। इसके महत्व के पक्ष में कहा है यह विश्व की अन्य भाषाओं की अग्रजा है जिसका गुण अथवा कुछ समरूपता विश्व के प्रसिद्ध सभी भाषाओं में देखी जाती है इसके महत्व के प्रतिपादन के लिए (मैक्समूलर) ने संस्कृत को अग्नि: बोला जाता है तो लैटिन भाषा में इग्निस तथा लिथ्वानियन भाष्ा में उग्निस बोला जाता है। उसी प्रकार संस्कृत में चूहा को मूष: संस्कृत में, ग्रीक भाषा में मूस, लैटिन में मुस आदि शब्दों का प्रमाण दिया है।
12. लेखक वास्तविक इतिहास किसे मानता है और क्यों ?
उत्तर- लेखक वास्तविक इतिहास भारत के इतिहास को माना है क्योंकि मानव इतिहास से सम्यद्ध अत्यन्त बहुमूल्य और अत्यन्त उपादय प्रमाणिक सामग्री का इतिहास भारत का इतिहास है। क्योंकि भारतीय इतिहास के किसी एक अध्याय के बराबर विश्व के किसी भी देश का इतिहास सप्पर्ण अध्याय से भी अधिक महत्व रखता है तथा इसका साहित्य भंडार विश्व के अन्य भाषाओं के साहित्य से अधिक समृद्ध है ।13. संस्कृत और दूसरी भारतीव भाषाों के आ्यन से चाचात्य जगत की ग्रसुख लाभ व्या कषी हुए ?
उत्तर- संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओ के अध्ययन से साक्चात्य जगत (पश्चिम के देशो) की प्रमुख लाभ बताते हुए गैक्समृला ने कहा संस्कृत तथा अन्य भारतीय भाषाओ के अध्वधन से विश्त के एोगों में पारिवारिक जैसा सावन्य बन गया है तथा इम साश्चात्य जगत वाल जीन पार्े कि हम मानवों का जीवन यात्रा कहाँ से आरमा होता है। कौन कौन-सा मार्ग अपनाना चाहिए और कहाँ पहुँचना चाहिए तथा विविष भारतीय भाषा ओं का अध्यवन हमें बताता है कि भारत के साध पाश्चात्य जगत का सम्बन्ध वहुत पुराना है ।14. लेखक ने भारत के लिए नवार्ंतुक अधिकारियां को किसकी तरह खपने देखने के लिए प्रेरित किया है और वर्यों ?
उत्तर- लेखक गैवसगूलर ने भारत के लिए नवार्ंतुक अधिकारियों का " सर विलियम जीन्स की तरह सपने देखने के लिए परेरित किया है क्योंकि भारत जा सहले (सर विलियम जान्स) के समय में धा वही अन भी है । यहाँ आकर आप एक से एक शानदार खाज कार्व कर सकते हैं।15 लेखक ने नया सिकंदर किसे कहा है ? ऐसा कहना क्या उचित है ? लेखक का अभिय स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- लेखक ने नवा सिकंदर विविध क्षेत्रों में अध्ययन खज और अनुसंधान की इच्छा से भारत आने चाले पाश्चात्य जगत के लोगां को कहा है और लेखक का कहना भी उचित है। लेखक का सिकंदर कहने का अभिप्राय है कि सिकन्दर की तरह आकर आप भात से सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं । भारत के सिन्धु नदी का पैदान और मंगा नदी का मेदान उनके अध्ययन, अभुसंधान तथा आपसी संबंध स्थापित करने के लिए पर्याप्त है।पाठ के आस-पास
1. जनरल करनिंधग कौन थे और ठनका वया महत्व है ? शिक्षक से मालूम करें।
उत्तर- जनरल कनिधम 19वीं सदी के महान पुरातत्ववेत्ता शे । अंग्रेजीं ने उनकी भारतीय पुरातत्वों के सर्वेक्षण हेतु सर्वेक्षक के रूप में नियुक्त कर भारत भेजा था जनरल कनिंघम ने यहाँ रहकर पुरातत्व स्थलों का सर्वेक्षण कर ईसट इण्डिया कम्पनी के मालिक के चास रिपोर्ट प्रतिवर्ष भेजा करते थे उन्होंने वैशाली, नालन्दा आदि अनक स्थलों की खुदाई भी करवाई जिससे प्राचीन कालीन अनेक वस्तु प्राप्त हुए तथा भारतीय इतिहास का लुप्त अध्याय के पन्नां से प्र्दा हटन लगा । हमें अपने अतीत को जानने का मौका मिला। यह श्रेय जनरल कनियम को प्राप्न हुआ।2. विलियम जॉंस के बारे में अधिक-सेअधिक जानकारी इकट्ठी कर मित्रों से उनपर चर्चा करें।
उत्तर- सर विलियम जॉस इंगलैड के निवासी थे वे 18 सदी के अंत में ही भारत में खोज के लिए आये थे महान पुरातत्ववेता विलियम जोन्स ने 1783 में ईगलेंड से चलकर जल जहाज से भारत के पूर्वी छोड़ कलकता शहर में आये थे और भारत की भूमि को जान-विज्ञान की धात्री ललित तथा अन्य उपयोगी कलाओं की जननी शानदार कार्यकलापों की दृश्य भूमि, मानव प्रतिभा के उत्पादन के लिए अत्यन्त उर्वर क्षेत्र तथा भर्म, राज्य, सरकार, कानून रीति-स्वाज, परम्परा, भाषा लोगों का रहन-सहन, रूप-रंग और आकार-प्रकार आदि दृष्टि से विविधता के कारण सदा सब जगह सम्मान की दृष्टि से देखी जाती है। कहकर भारत के महत्वों को प्रतिपादित किया था।यहाँ रहकर उन्होंने विविध क्षेत्रों में उपलब्धि प्राप्त की जिसके कारण हमें विदेशियां ने अपना अग्रज मानकर भारत के हरेक क्षेत्र का अनुकरण करना उत्तम समझा।
3. सिकंदर कौन था ? भारत के प्रसंग में डसका किस तह उल्लैख होता है ? इतिहास के शिक्षक से जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर- सिकंदर यूनान का महत्वाकक्षी शासक था । मीर्य काल में वह अपने सेनिको के साथ विश्व विजय करते हुए जब भारत आया उस समय भारत में चन्द्रगुप् मीर्य का शाहक या जिसकी राजधानी पटना थी सिकंदर की सेना यहाँ आकर पराबित हो गई सिकदर भारत के साथ सबंध जोड़ना चाहता था अत: उसने अपने सेनापति सेव्यकस की पुत्री का विवाह चन्द्र के साथ करवाकर यूनान और भारत को सम्बन्ध सत्र में बाँध दिया।इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत-यूनान एकता स्थापित करने का प्रथम सोपान बनाने वाला सिकंदर था। कहा जाता है कि भारत से जब वह स्वदेश लौट रहा था तो रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई।
4. घर्मसूत्र और समयाचारिक सूत्र क्या हैं? कुछ प्रमुख सूत्रों के नाम मालूम करें।
उत्तर- धर्मसूत्र अर्थात् मानव के कर्त्तव्य-अकर्त्तव्य का जिसमें विवेचन हो उदाहरण में मनुस्मृति पुराण उपनिषद् आदि । समयाचारिक सूत्र-जिस ग्रन्थ में कब किस समय कौन कार्य करना चाहिए अथवा नहींकरना चाहिए तथा उस समय में किये गये कार्यों के फल का विवेचन जिसमें हो-उदाहरण में पराशर सहिता, भृगु संहिता आदि ज्योतिषीय ग्रन्थ, वात्सयायन का कामसूत्र । उसी प्रकार भारत में प्रसिद्ध अनेक सूत्र ग्रन्थ उपलब्ध हैं जिसमें कात्यायन सूत्र पाणनि सूत्र, पतजली सूत्र आदि प्रमुख हैं।
5. मैक्समूलर के जीवन और कार्यों के बारे में जानकारी एकत्र कर अपने शिक्षक से चर्चा करें ।
उत्तर- मैक्समूलर के जीवन और कार्यों के बारे में जानकारी पाठ के आरम्भ में "संक्षिप्त जीवनी' में दिया गया है।6. पाठ में आए ऐतिहासिक जातियों को चुनकर उनके अर्थ मालूम करें।
उत्तर- आर्य, द्रविड़, मुण्डा जातियों के अर्थ-
आर्य = घुमक्कड़ जाति (भारतीय आरय्य हैं जो अन्य जगह से आकर बसे थे ।)
द्रविड़ = जो अधिक दयालु हो (यह जाति है दक्षिण भारत में)
मुण्डा = कठोर, मजबूत (पहाड़ी जाति)।
भाषा की बात
1. निम्नांकित वाक्यों से विशेष्य और विशेषण पद चुनें-
(क) उत्कृष्टतम् उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार ।उत्तर- विशेष्य = उपलब्धियों। विशेषण
(ख) प्लेटो और काण्ट जैसे दार्शनिकों का अध्ययन करने वाले हम यूरोपियन लोग।
उत्तर- विशेष्य = यूरोपियन । विशेषण %= हम ।
उत्कृष्टतम् ।।
(ग) अगला जन्म तथा शाश्वत जीवन ।
उत्तर- जन्म = विशेष्य । विशेषण = अगला । जीवन = विशेष्य । शाश्वत = विशेषण।
(घ) दो-तीन हजार वर्ष पुराना ही क्यों, आज का भारत भी।
उत्तर- पुराना %3 विशेष्य । वर्ष = विशेष्य । भारत = विशेष्य । आज का = विशेषण ।
(ङ) भूले-विसरे बचपन की मधुर स्मृतियाँ।
उत्तर- बचपन विशेष्य । भूले बिसरे = विशेषण। स्मृतियाँ = विशेष्य । मधर = विशेषण।
(छ) लाखों-करोड़ों अजनबियों तथा बर्बर समझे जाने वाले लोगों को भी ।
उत्तर- अजनबियों = विशेष्य । लाखों-करोड़ों = विशेषण । लोगों = विशेष्य । बर्बर = विशेषण ।
2. "अग्रजा" की तरह "जा" प्रत्यय जोड़कर तीन-तीन शब्द बनाएँ-
उत्तर- जलजा, अनुजा, पूर्वजा ।3. निम्नलिखित उपसर्गां से तीन-तीन शब्द बनाएँ ।
उत्तर- प्र = प्रयोग, प्रमाण, प्रसिद्ध ।नि: = नीरोग, निष्कलंक निष्फल ।
अनु = अनुराधा, अनुचर, अनुराग ।
अभि = अभिशाप, अभियोग, अभिनव ।
वि = वियोग, विभेद, विमल ।
4. "वास्तविक" में 'इकं' प्रत्यय है |
"इक" प्रत्यय से पाँच शब्द बनावें।
उत्तर- दार्शनिक, धार्मिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक, मांगलिक ।शब्द निधि :
अचलोकन = देखना, प्रतीत करना, मैहसूस करना। अवगाहन = स्नान करना, गहराई में दूचकर समझ चांछनीय चाहने योग्य, कामना करने योग्य । नृवंश विद्या = मानव शास्त्र । परिमाण= मात्रा । दारिस=प्राचीन मुद्रा का एक प्रकार । प्रेषित = भेजा हुआ । दैवत विज्ञान = देचे विज्ञान । प्रत्नयुग प्राचीन युग अनुरूपता = समानता, सादृश्य । क्षय = छीजन, विनाश । अपरिहार्थ = जिसे छोड़ा न जा सके, अनिवार्य । क्षीयमाण =नष्ट होता हुआ। मसला = मुद्दा, विषय । सदाशयता=उदारता, भलमनसाहत । सर्वातिशायी = जिसमें सारी चीजें समाहित हो जाएँ ।. चिद्यमान= चर्तमान, उपस्थित । अहेतुकवाद ऐसा सिद्धांत जिसमें हेतु या कारण की पहचान न हो सकै। सर्वथा = पूरी तरह से । ज्ञातव्य जानने योग्य । सारभूत = सार या निष्कर्ष कहा जानेयोग्य, आधारभूत। अजनबी = अपरिचित, अज्ञात बर्बर= जंगली, असध्य । सुविस्तीर्ण अतिविस्तृत, खुशफैल, पूरी तरह से फैला हुआ ।
अनिवर्चनीय= जिसकी च्याख्या न की जा सके, वाणी के परे । धात्री = पालन-पोषण
करनेवाली धारण करनेवाली । अपरांत = पश्चिमी | परिणत = परिवर्तित, जिसका परिणाम सामने
आ गया हो | प्राच्य = पूर्वी (पाश्चात्य का विलोम), यहाँ भारतीय के अर्थ में ।