1. दही वाला मंगम्मा -श्रीनिवास
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1. दही वाला मंगम्मा -श्रीनिवास |
बोध और अभ्यास
1. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था ?
उत्तर- संसार का सत्य है कि सास और बहू में स्वतंत्रता की होड लगी रहती है । माँ बेटे पर से अपना हक नहीं छोड़ना चाहती और बहू पति पर अधिकार जमाना चाहती है । बहू ने किसी बात को लेकर अपने बेटे को खूब पीटा । मंगम्मा अपने पोते कि पिटाई से क्षुब्ध होकर बहू को भला-बुरा कह दिया । बेटे पर अधिकार से लेकर मंगम्मा और उसकी बहू में विवाद था ।2. रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था ?
उत्तर-रंगप्पा शौकीन तबीयत रखनेवाला एक जुआरी था । वह मंगम्मा से कर्ज़ लेना चाहता था । वही भली-भाँति जानता था कि मंगम्मा अपने बहू-बेटे से अलग रहती है और इसके पास पैसे रहते हैं । माँ बेटे के अन्तर्कलह का वह लाभ उठाना चाहता था ।3. बहू ने सास को मनाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया ?
उत्तर-जब बहू को रंगप्पा के द्वारा ज्ञात हुआ कि उसकी सास ने रंगप्पा को कर्ज देने की स्वीकृति प्रदान की है तब उसने बेटे को ढाल बनाकर पैसे लेने की तरकीब सोचने लगी । वह जानती है कि उसकी सास अपने पोते से बहुत प्यार करती है । अत:, उसने अपने बेट को दादी के पास ही रहने के लिए भेज दिया ।4. इस कहानी की कथावाचक कौन है ? उनका परिचय दीजिए ।
उत्तर- इस कहानी की कथावाचक लेखक की माँ है । लेखक की माँ प्रस्तुत कहानी का द्वितीय केन्द्रीय चरित्र है । कहानी की कथावस्तु लेखक की माँ के द्वारा ताना- बाना बुना गया है। मंगम्मा जब दही बेचने के लिए आती है तो लेखक के घर आती है और बढ़िया दही कुछ न-कुछ बेंच कर जाती है । धीरे-धीरे मंगम्मा और लेखक की माँ में घनिष्ठता बढ़ती चली गई । मंगम्मा अपने घुर-गृहस्थी का सारा हाल सुनाती है और लेखक की माँ उसे कुछ-न-कुछ सुझाव देती है । सास और बहू के अन्त्कलह से परिवार बिखर जाता है । बेटे को समस्त सुख अर्पित करनेवाली माँ बहू के आते ही बेटे से अलग हो जाती है । मंगम्मा के अन्तव्व्यथा को सुनकर लेखक की माँका मन भी बोझिल हो जाता है । ममता की मूर्तिमान रहनेवाली नारी दुर्गा क्यों बन जाती है । इसका ज्वलंत उदाहरण लेखक की माँ को देखना-सुनना पड़ता है । जब काई एक-दूसरे को पसंद नहीं करता तब छोटी बातें भी बड़ी हो जाती हैं। मंगम्मा की बातें सुनते-सुनते लेखिका की माँ का ह्रदय द्रवित हो जाता है ।
5. मंगम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए । .
उत्तर-मंगम्मा प्रस्तुत कहानी का प्रमुख केन्द्रीय चरित्र है । कहानी की कथावस्तु इसके इर्द-गिर्द ही घुमती रहती है । पति से विरक्त रहनेवाली मंगम्मा शायद कभी ऐसी नहीं सोची होगी कि उसका बेटा पत्नी के दबाव में आकर उसे छोड़ सकता है। पत्नी का शृंगार पति है । मंगम्मा और उसका बहू इस तथ्य को भलीभॉति समझती है । मगम्मा दहो बेचकर अपना जीवन-यापन करती है । दही लेकर अपने गाँव से शहर जाती है और उसे बेचकर जो आमद्नी होती है उसी में वह कुछ संचय करती है । वह जानती है कि पेसा, ही उसकी अपनी जमा-पूँजी है । वह भोली-भाली और सहृदय नारी है । अपने पोते के प्रति उसको अधिक झुकाव ही वस्तुत: मानवमूलधन से कहीं अधिक ब्याज पर जोर देता है । वह अपना सतीत्व बचाये रखना चाहती है । रंगप्पा द्वारा बार-बार उसका पीछे करने पर भी वह अपने कर्मपथ से विचलित नहीं होती है । इति का अभाव उसे सदा खटकता है किन्तु पुर्ति के प्रति श्लेष मात्र भी क्षोभ नहीं है । मंगम्मा सम्पूर्ण भारतीय नारीत्व का प्रतिनिधित्व करती है ।
6. कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी कन्नड़ कहानियाँ (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया) से साभार ली गयी हैं।इस कहानी का अनुवाद बी. आर. नारायुणु ने किया है । इस कहानी का प्रमुख केंद्रीय चरित्र भगम्मा और द्वितीय चरित्र लेखक की माँ है । मंगम्मा पतिक्रता है । घर के अन्तर्कलह से दुःखी होकर 'वह जीवनयापन कुरने के लिए दही बेचती है । वह गाँव से शहर जाती है और दही बेचका कुछ पैसे संचय करती है । संसार में यह सत्य है कि सांस और बहू में स्वतंत्रता की होड लगी रहती है । माँ बेटे पर से अपना हक नहीं छोड़ती और बहू पति पर अधिकार जमाना चाहती है। पोते की पिटाई से क्षुब्ध मंगम्मा अपनी बहू को भला-बुरा कह देती है सास और बहू का विवाद घर में अन्तर्कलह को जन्म देता है । बहू और बेटे मगम्मा को अलग रहने के लिए विवश कर
देते हैं । दही बेंचकर किसी तरह जीवनयापन करनेवाली मंगम्मा कुछ पैसे इक्ट्ठा कर लेती है। जब बहू को यह ज्ञात हो जाता है कि उसकी सास रंगप्पा को कर्ज देनेवाली है तो वह अपने को बेटे को ढाल बनाती है । वह बेटे को दादी के पास ही रहने के लिए उकसाती है, धीरे-धीरे सास और बहू में संबंध सुधरता जाता है । एक दिन मंगम्मा स्वयं बहू को लेकर दही बेंचने के लिए जाती है । लोगों से अपनी बहू का परिचय देती है और कहती है कि अब दही उसकी बहू ही बेचने के लिए आयेगी । वस्तुत: इस कहानी के द्वारा यह सीख दो गई है कि पानी में खड़े बच्चे का पाव खींचनेवाले मगरमच्छ की-सी दशा बहू की है और ऊपर से बाँह पकड़कर बचाने की-सी
दशा माँ की होती है ।
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